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रचयिता-प्रियंका भूतड़ा शीर्षक-विधवा की आवाज नम थी ये आंखें, थम नहीं रही थी अश्रु की धारा, अंतर्मन में हो रही थी पीड़ा, रची विधाता ने कैसी माया। जिसके लिए आई थी, ...