1 Part
317 times read
28 Liked
कश्ती बदल रहें हैं रुख, हवाओं के... पर, हमें भी ज़िद है अपनी कश्ती को साहिल तक पहुंचाने की, माना के आसान नहीं है... राह - ए - मंजिल, उम्मीद अभी ...