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कश्ती बदल रहें हैं रुख, हवाओं के... पर, हमें भी ज़िद है अपनी कश्ती को साहिल तक पहुंचाने की, माना के आसान नहीं है... राह - ए - मंजिल, उम्मीद अभी ...