लेखनी प्रतियोगिता -19-May-2022 विषय- कश्ती*

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कभी कश्ती कहीं नैया  कहीं कहलाती ये नौका जो बनता मॉंझी निज जीवन का उसी को जिंदगी देती है मौका  बिना मॉंझी कहीं भी कश्ती को नहीं मिलता है कोई सहारा ...

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