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उड़ान काश मुझे भी पंख मिल जाए, उन्मुक्त गगन में मैं उड़ जाऊं। जो करना चाहूं मैं कर लूं, निर्बाध गति से आगे बढ़ जाऊं। लेखनी मेरी हो प्रबल, कृपा इतनी ...