ग़ज़ल

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🌹🌹* मुफ़्त की रोटियाँ * 🌹🌹 खायी थीं ख़ूब तर मुफ़्त की रोटियाँ। बन गयीं दर्दे सर मुफ़्त की रोटियाँ। ले गयीं सब हुनर मुफ़्त की रोटियाँ। कर गयीं दरबदर मुफ़्त ...

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