लेखनी प्रतियोगिता - खामोशी

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खामोशी खुद से प्यार करने लगे जबसे खामोशी अच्छी लगने लगी है.... शब्दों के शोर से हुए परेशान, तबसे ये बेहतर लगने लगी है.. बोलकर भी जब कोई समझ ना पाया ...

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