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जेठ की दुपहरिया ************** जेठ दुपहरिया बाहर ना जाएव तरवन मां रोटी बनि जइहैं। गालन का तुम ढकि कै राखेव नहीं कचौड़ी बनि जइहै।। तरवन का जब बैठि कै देखिहव तौ ...