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अंतरिक्ष हे मानव तेरे ही है निमित्त , अंतहीन ख्वाहिशो , का जैसे एक वृक्ष, पत्तियो सी इसकी ,,तमन्नाए है, बेहिसाब सी इसकी,,ख्वाहिशे,लिए है टहनियो से प्रयास और नदारद, गुंजाइशे, ...