लेखनी कहानी -26-May-2022 खामोश दर्द

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खामोश दर्द  योगेश्वर सिंह मन ही मन उबल रहे थे । रविवार का दिन था और सुबह के नौ बज गये थे लेकिन ना तो बेटी टीना जगी , ना बेटा ...

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