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बाग़बान तो अपना बाग़ लगाये, मेहनत से अपनी फ़सल उगाये। ऋतु कोई भी हो ना देखे वो, अपना सर्वोच्च देता चला जाये। धूप छाव सर्दी गर्मी बरसात हो, चक्र मौसम का ...