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दोहा किसान अन्न उगाकर जो भरे, भारत का भंडार। उसी कृषक की स्थिती, आज बहुत बेकार।। खेतों में बैठा रहे, अपने जो दिन रात। मन में आशा पालता, होगा नवल प्रभात।। ...