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“ख़ुशियों का बग़ीचा” हो कैसा हमारा ये बग़ीचा, जिसमें हो लगे फ़ूल ख़ुशियों के । ख़ुशी में खिला रहे चेहरा हमारा , मुरझाए ना जब हो हम उदास कभी । काले ...