लेखनी कहानी -28-May-2022

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हिम्मत नहीं... मैं टूटा हुं, टूटा ही रहने दो, फिर से जुड़कर, टूटने की हिम्मत नही... मैं बिखरा हुं, बिखरा ही रहने दो, फिर से समेट कर, बिखरने ही हिम्मत नही ...

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