हो साफ ज़हन

1 Part

230 times read

25 Liked

ग़ज़ल ۔۔ हो साफ़ ज़हन सुकूँ फिर कहाँ नहीं मिलता, दुआ हो दिल से तो क्या कुछ मियां नही मिलता! जिधर से गुजरे दिखाई पड़ी उधर नफरत, मुहोब्बतों का कोई अब ...

×