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रचयिता-प्रियंका भूतड़ा शीर्षक-प्रकृति को प्रदान करें कवच प्रकृति का खिलखिला , महकाता, मदमात स्वरूप फिर क्यू करें खिलवाड़ मनुष्य हरी भरी ये धरती, नीला नीला ये अंबर फूल पर तितली बैठे, ...