जीने का सहारा हूं मैं -30-May-2022

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कविता-    जीने का सहारा हूं मैं न महलों बीच उजाला हूं मैं न ज्वालामुखी का ज्वाला हूं मैं न आसमान का तारा हूं मैं न मेघ बीच चंचल चपला, न ...

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