1 Part
208 times read
12 Liked
कविता- जीने का सहारा हूं मैं न महलों बीच उजाला हूं मैं न ज्वालामुखी का ज्वाला हूं मैं न आसमान का तारा हूं मैं न मेघ बीच चंचल चपला, न ...