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गज़ल मुझे बेहाल रहने दो, मेहरबानी से डरता हूं। निकलता है कभी जब, आंख के पानी से डरता हूं।। समझदारी तुम्हारी काबिले तारीफ है लेकिन। कहीं हो जाए न मुझसे, मैं ...