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कन्या भ्रूण हत्या कली हूं मैं तेरे आंगन की, फ़िर मुझे खिलने से पहले क्यों मुरझा देते हैं, मेरे नए उजाले को, क्यों अंधेरे में धकेल देते हो, पापा मैंने तो ...