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आदमी लाख दाग़दार हो, औरत के दामन पर उसे दाग़ मंजूर क्यों नहीं होता? औरत ही हमेशा क़सूरबार, इज़्ज़तदार आदमी कभी क़सूरबार क्यों नहीं होता? औरत ग़ैर आदमी के साथ हो, ...