दोस्ती के रंग

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वो जो अब दीन दुनिया से बेअसर हो चले है। सामाजिक तानो बानो से बेखबर हो चले है।। चलती थी जिनकी रूआबों की रैलियां। अब उन रैलियों से भी बे-नजर हो ...

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