आज़ादी

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जाने कितने घर उजड़े थे कितनो ने जान गंवाई थी  कितनी मुश्किल सह सह कर हमने ये आजादी पाई थी  काले मन के गोरों ने कैसी ये विप्पति ढाई थी  माँ ...

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