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तू मनुष्य, मैं पर्यावरण, तू पृथ्वीवासी, मैं पृथ्वी का आवरण । मैं पौधा, पेड़, वृक्ष, वन हूँ, मैं पृथ्वी पर आक्सीजन हूँ । मैं शुद्ध हूँ जब तक, दीर्घायु दूंगा, पृथ्वी ...