कविता--पर्यावरण

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कविता--पर्यावरण धरती का है जो गहना वही उगलता है सोना अपने भीतर जीव जगत बसाये धरती को विनाश से बचाये प्राण वायु का उद्गम जहां से रक्त संचार हुआ वहां से ...

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