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तुम हो तो रंगीन ज़माना लगता हैं, ख्वाबों में सोया ये जमाना लगता हैं। साथ तुम्हारे हर जाम पैमाना लगता हैं, सूफी में भी बसा मयखाना लगता हैं। गुजरे जो शाम ...