लेखनी प्रतियोगिता -08-Jun-2022

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“ग़ुरूर और इंसानियत” ना आँखे ना सूरत देती साथ, देती है तो बस इंसान की सीरत साथ । तन पे हो कपड़ा या हो बिछौना, बिना इनके जग छोड़ के है ...

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