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शीर्षक,, कुछ मन ऊंचाइयों पर पहुँचकर कुछ ह्रदयों का यह हस्र है, न सहते ही बने न कहते ही बने साथी उनका सब्र है, ऊपर चमचमाता ताजमहल अंदर,ख्वाहिशों की कब्र है, ...