मुस्कान

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जब से हमें दीदार-ए-यार हो गए  आशिकी के घोड़े पर हम भी सवार हो गए  हर वक्त उनकी गली का चक्कर काटकर  हम भी उनकी दीद के तलबगार हो गए  कि ...

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