लेखनी प्रतियोगिता - गंगा

1 Part

352 times read

17 Liked

  गंगा है पतित पावनी, अनपायनी   झर झर बहती मां गंगा, सिर्फ नदी नही है, साक्षात प्रतिमूर्ति है ईश्वर की, निर्मल सी बहती मां गंगा, कल कल करती इसकी लहरें, हर ...

×