दुल्हन (दैनिक प्रतियोगिता)

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कली रही है आज तक,खिलकर हुई गुलाब। देख देख शरमा गया,ये चाँद आफताब।। बनकर दुल्हन है चली,पिया मिलन की चाह। ये सुख दुख की छाँव में,कट जाएंगे राह।। अम्मा की है ...

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