आवारा मन - लेखनी प्रतियोगिता -12-Jun-2022

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है अपना मन तो मस्ती में आवारा दिन-रात भटकता ही ये रहता है कभी झूठी चमक देख ललचाए कभी रूखी रोटी से खुशी पाता है। है अपना मन तो मस्ती में ...

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