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गुनगुनाती रही तुम्हारे लिए, मुस्कुराती रही तुम्हारे लिए। श्रृंगार मन मोहे जो पिया, संवरती रही तुम्हारे लिए। दिखा रहा आईना उम्र को, झुठलाती रही तुम्हारे लिए। बगिया भी दे रही है ...