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मानस का रूप और माहात्म्य (continue) *चली सुभग कबिता सरिता सो। राम बिमल जस जल भरित सो। सरजू नाम सुमंगल मूला। लोक बेद मत मंजुल कूला॥6॥ भावार्थ:-उससे वह सुंदर ...