लेखनी प्रतियोगिता - मन का ज्वालामुखी

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मन का ज्वालामुखी!! इस हद तक तड़प चुके हैं, कि अब कुछ अपना नही लगता है हमें, इस हद तक सताया है दुनिया ने, कि अब सब कुछ खत्म सा लगता ...

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