मेरी आपबीती है

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दुनिया झूठी है और इसकी झूठी रीति है, दास्ताँ तुम्हें सुनाऊँ क्या मुझ पर बीती है। जाति  मज़हब  ने छीन ली मेरी मोहब्बत, लोगों की वही पुरानी  सोच फिर जीती है। ...

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