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, 🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷 नील गगन को छू कर आऊ--- चंचल चितवन कहलाता है, कभी हो जाता पंख पखेरू, कभी मृगतृष्णा बन जाता है, कहां ढूंढ रहा मन कस्तूरी, आखिर क्या तेरी मजबूरी, ...