रामचरित मानस

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मानस का रूप और माहात्म्य  (continue)     बरषा घोर निसाचर रारी। सुरकुल सालि सुमंगलकारी॥ राम राज सुख बिनय बड़ाई। बिसद सुखद सोइ सरद सुहाई॥3॥ भावार्थ:-राक्षसों के साथ घोर युद्ध ही वर्षा ...

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