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टूटा हूँ इस कदर मैं,जुड़ा फिर कभी नहीं बिखरा पड़ा जमीं पे,आईना तो मैं नहीं माना कि रंजो गम,बहुत जीवन के राह में विचलित हो जाउँ पथ,से ऐसा तो मैं नहीं ...