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ग़ज़ल छिपकर शायरी पढ़ती हो, यक़ीनन इश्क़ करती हो! बाम पर आती हो क्यो, किसके लिए संवरती हो! क्लास में और भी सब हैं, मुझे क्यो देखा करती हो! लिखा मगर ...