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रूख से पर्दा हटाने तो देते, जन्नत को ज़मीन का होने तो देते। कुछ ख़याल बाबस्ता कैद थे, नज़रे उठाकर उन्हें रूकसत तो होने देते। उन अदाओ का एहसास हमें भी ...