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कला देखो खुदा की कला निराली है कहीं धूप,कहीं छाँव, कहीं हरियाली है कहीं लहराता सागर है,कहीं घटा काली है कहीं चाँद झाँकता बादलों से,कहीं रवि की लाली है क्या कला ...