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निज भाषा उन्नति अहै सब उन्नति को मूल । मेरी भाषा के ज्ञान के बिना, मैं नहीं मरता। भारतेंदु हरिश्चंद्र की ये पंक्तियाँ पूरी तरह से सार्थक हैं, मातृभाषा का सम्मान ...