इंसानियत खोने लगी है

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प्रतियोगिता हेतु आदमी की *आत्मा* सोने लगी है । आज कल इँसानियत खोने लगी है।। जिस कली ने मुँह अभी खोला नहि था। पापियों के पाप वो ढोने लगी है ।। ...

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