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वो खुशनुमा सी शाम वो चांद की सरगोशियां वो झुका झुका सा आसमां और वो नदी का किनारा वो तेरा उड़ता आंचल गालों पे पड़ते तेरे डिंपल वो लरजती सी गोरी ...