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अधूरे रह गए जिनके मुहब्बत के सफ़र अक्सर उन्ही के शेर पर अंजुमन कहती है मुकर्रर। हर किसी को किसी न किसी से होता है शिकवा-गिला यूंही नहीं चलते जा रहा ...