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किष्किन्धाकाण्ड शरद ऋतु वर्णन चौपाई : * बरषा बिगत सरद रितु आई। लछमन देखहु परम सुहाई॥ फूलें कास सकल महि छाई। जनु बरषाँ कृत प्रगट बुढ़ाई॥1॥ भावार्थ:-हे लक्ष्मण! देखो, वर्षा बीत ...