रामचरित मानस

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लंका वर्णन, लंकिनी वध, लंका में प्रवेश * नाना तरु फल फूल सुहाए। खग मृग बृंद देखि मन भाए॥ सैल बिसाल देखि एक आगें। ता पर धाइ चढ़ेउ भय त्यागें॥4॥ भावार्थ:-अनेकों ...

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