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श्री सीता-हनुमान् संवाद सोरठा : * कपि करि हृदयँ बिचार दीन्हि मुद्रिका डारि तब। जनु असोक अंगार दीन्ह हरषि उठि कर गहेउ॥12॥ भावार्थ:-तब हनुमान्जी ने हदय में विचार कर (सीताजी के ...