रामचरित मानस

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मंदोदरी-रावण संवाद चौपाई : *उहाँ निसाचर रहहिं ससंका। जब तें जारि गयउ कपि लंका॥ निज निज गृहँ सब करहिं बिचारा। नहिं निसिचर कुल केर उबारा।1॥ भावार्थ:-वहाँ (लंका में) जब से हनुमान्‌जी ...

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