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रावण को विभीषण का समझाना और विभीषण का अपमान दोहा : * सचिव बैद गुर तीनि जौं प्रिय बोलहिं भय आस राज धर्म तन तीनि कर होइ बेगिहीं नास॥37॥ भावार्थ:-मंत्री, वैद्य ...